Sunday 21 February 2016

નિરાંત છે હમણા !


ખુબ જ નિરાંત છે
તમે નથી...તો હાલ
કેવી મસ્ત નિરાંત છે !
કોઇ બીજુ...ક્યાઁ હવે નવરું છે
કાંકરીચાળો કરવા આ જળમાં
એક મોજીલો દરીયો
એક અરસાથી પ્રશાંત છે
કેવી અદભુત નિરાંત છે !
એક તમને જોઈને...ચડતી હિલોળે
ઊર્મિઓ હજાર આ હ્રદયમાં
હવે અહલ્યા સમ
નિર્જીવ આ ખડકમાં
કોઈ સ્પંદન નથી...સંવેદન નથી
ન હરખની અનુભૂતિ ન કલ્પાંત છે
કેવી સંગીન નિરાંત છે !
ક્યાં લગી ચાલતું હશે
એક અસાર અને મ્લાન શ્વસન
  કોઈ શરીરમાં...જીવ ગયા પછી !
 તમે લઇ ગયા સાથે જે દેહ કેરો જીવ
એ તો નિશ્ચેત છે ત્યારથી
મૃત હજુ જાહેર થયો નથી
સદેહે અનોખો આ દેહાંત છે
કેવી અનોખી નિરાંત છે !
તમે નથી...તો હાલ
  કેવી મસ્ત નિરાંત છે !
खुब ज निरांत छे
तमे नथी...तो हाल
केवी मस्त निरांत छे !
कोई बीजु...क्यां हवे नवरु छे
कांकरी चाळो करवा आ जळ मां
एक मोजीलो दरीयो
एक अरसा थी प्रशांत छे
केवी अद्भुत निरांत छे !
एक तमने जोई ने...चड़ती हिलोळे
ऊर्मिओ हजार आ ह्रदय मां
हवे अहल्या सम
निर्जीव आ खड़क मां
कोई स्पंदन नथी...संवेदन नथी
न हरख नी अनुभूति न कल्पांत छे
केवी संगीन निरांत छे !
क्यां लगी चालतु हशे
एक असार अने म्लान श्वसन
कोई शरीर मां...जीव गया पछी !
तमे लई गया साथे जे देह केरो जीव
ए तो निष्चेत छे त्यार थी
मृत हजु जाहेर थयो नथी
सदेहे अनोखो आ देहांत छे
केवी अनोखी निरांत छे !
तमे नथी...तो हाल
केवी मस्त निरांत छे !

Wednesday 17 February 2016

मैं सोया अँखियाँ मींचे


कभी किसी को क्षमा देना
तो मुझे आता नहीं था
और वीर भी बनना था
फीर एक नया सुभाषित :
'आलस्य वीरस्य भूषणम्'
मैंने ख़ुद बना लिया
और वीर बन गया !
स्कूल में दोस्तों ने भी
यही तो सीखाया था :
आज करे सो कल कर
कल करे सो परसो...
ये मुझे बड़ा अनुकूल लगा
और मैं हुशियार भी बहुत था
आगे दो लाइनें अपनी जोड़ दी :
परसो करे सो कभी मत कर
अभी सो जा कुछ अभी मत कर !
बड़े लोगो की सीख भी
मैंने इस तरह दिमाग में उतारी
कि दिल को तसल्ली हो
और आत्मा को सुकून मिले
जैसे चाचा नेहरु का उपदेश :
'आराम ही राम है'
मैं बस आराम करता रहा
आलस्याभूषण पहनकर
विश्राम करता रहा....
इसी विश्रान्ति में ये ख़बर न रही
जो लड़की बहुत पसंद थी
उसकी कब शादी हो गई !
सोते सोते गुज़र गई रात रे
दिन भी पलक झपक निकल गये
अवसरों से लदे जहाज गुज़र गये
दूर से अपनी चमक दिखाकर
हीरा पन्ना ओ पुखराज गुज़र गये
क्युँ कि सोने से ज़्यादा
मुझे सोने में दिलचस्पी थी
कभी मैंने ईश्वर से मांगा भी यही होगा :
नींद से मेरा दामन भर दे या अल्लाह
फीर चाहे दिन आधा कर दे या अल्लाह ||